Thursday, July 30, 2009

भूतिया शायरी

हम रात की तन्हाइयों से आपका जिक्र किया करते हैं
चाँद से आपकी बातें किया करते हैं
ना आओ हमारे ख्वाबों में यूँ तुम
हम भूत से बेहद डरा करते हैं!
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फिजाओं में तुम हो
घटाओं में तुम हो
हवाओं में तुम हो
बहारों में तुम हो
धूप में तुम हो
छाँव में तुम हो
अब तुम ही बताओ मेरी जान
क्या तुम किसी भूत से कम हो!!
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हादसे इंसान के संग मसखरी करने लगे
लफ्ज कागज पर उतर जादूगरी करने लगे
कामयाबी जिसने पाई उनके घर बस गए
जिनके दिल टूटे वो आशिक शायरी करने लगे!

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