हम रात की तन्हाइयों से आपका जिक्र किया करते हैं
चाँद से आपकी बातें किया करते हैं
ना आओ हमारे ख्वाबों में यूँ तुम
हम भूत से बेहद डरा करते हैं!
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फिजाओं में तुम हो
घटाओं में तुम हो
हवाओं में तुम हो
बहारों में तुम हो
धूप में तुम हो
छाँव में तुम हो
अब तुम ही बताओ मेरी जान
क्या तुम किसी भूत से कम हो!!
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हादसे इंसान के संग मसखरी करने लगे
लफ्ज कागज पर उतर जादूगरी करने लगे
कामयाबी जिसने पाई उनके घर बस गए
जिनके दिल टूटे वो आशिक शायरी करने लगे!
wah wah..bahat khub..
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